दुर्ग में अधिकारियों को दी गई आरटीआई अधिनियम की विस्तृत जानकारी
सूचना के अधिकार अधिनियम पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला संपन्न

दुर्ग। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में जनसूचना अधिकारियों एवं प्रथम अपीलीय अधिकारियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य अधिकारियों को अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों, दायित्वों एवं तकनीकी प्रक्रियाओं की जानकारी देना था।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग की अवर सचिव श्रीमती गीता दीवान एवं अनुभाग अधिकारी श्री अतुल वर्मा ने उपस्थित अधिकारियों को सूचना के अधिकार अधिनियम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने जनसूचना अधिकारियों एवं प्रथम अपीलीय अधिकारियों की भूमिका, आवेदन के निराकरण की प्रक्रिया तथा समय-सीमा की महत्ता पर विशेष बल दिया। अवर सचिव श्रीमती गीता दीवान ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्राप्त आवेदनों का निराकरण निर्धारित 30 दिवस के भीतर अनिवार्य रूप से किया जाए। यदि सहायक जनसूचना अधिकारी आवेदन प्राप्त करता है, तो 5 दिवस की अतिरिक्त समय सीमा लागू होगी। निराकरण में देरी की स्थिति में आवेदन स्वतः ही अन्य फोल्डर में स्थानांतरित हो जाएगा तथा आवेदक द्वितीय अपील का अधिकार प्राप्त कर लेगा।
पोर्टल पर कार्यभार संबंधी जानकारी अनिवार्य
राज्य सूचना आयोग के अधिकारियों ने प्रशिक्षण में पोर्टल संचालन की प्रक्रिया भी समझाई। उन्होंने बताया कि कार्यभार ग्रहण अथवा मुक्त होने की स्थिति में संबंधित अधिकारी को हस्ताक्षर युक्त पत्र पोर्टल पर अपलोड करना होगा। साथ ही, सूचना के लिए दस्तावेजी शुल्क की ऑनलाइन मांग एवं सूचना की अपलोडिंग की प्रक्रिया पर भी प्रकाश डाला गया।
व्यक्तिगत सूचना हेतु विशेष प्रावधान
जनसूचना अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत जानकारी संबंधित आवेदन प्राप्त होने पर, अधिनियम की धारा-8 के तहत परीक्षण करना आवश्यक है। यदि जानकारी पूरी तरह व्यक्तिगत पाई जाती है, तो धारा-11(1) के अंतर्गत संबंधित व्यक्ति की सहमति/असहमति प्राप्त की जा सकती है।
प्रथम अपीलीय अधिकारियों के लिए दिशा निर्देश
प्रथम अपीलीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि अपील का निराकरण 30 दिवस के भीतर करें, जबकि विशेष परिस्थितियों में यह अवधि 45 दिवस तक बढ़ाई जा सकती है। यदि अपीलकर्ता द्वारा दस्तावेजी शुल्क जमा नहीं किया गया हो, तो अपील के परीक्षण के पश्चात शुल्क सहित अथवा निःशुल्क सूचना प्रदान करने का आदेश देना होगा। कार्यशाला में संयुक्त कलेक्टर हरवंश सिंह मिरी, डिप्टी कलेक्टर हितेश पिस्दा एवं महेश राजपूत सहित जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। प्रशिक्षण सत्र के दौरान अधिकारियों की शंकाओं का समाधान भी किया गया तथा आरटीआई अधिनियम की बारीकियों को समझाया गया।