राजा नहीं सन्यासी का मान होता है छत्तीसगढ़ में-परदेशी
खचाखच भरे सभागार में वैराग्य की गाथा “भरथरी” को मिली खूब तारीफ

भिलाई। छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग के सहयोग से संस्था ‘रंगसरोवर’ की प्रस्तुति लोकनाट्य उत्सव में वैराग्य की गाथा “भरथरी” का मंचन महात्मा गांधी कला मंदिर सिविक सेंटर में शुक्रवार 13 जून की शाम को भी हुआ। लगातार दूसरे दिन भी कला मंदिर का पूरा सभागार खचाखच भरा रहा। प्रख्यात लोक गायिका और “भरथरी” की पुरोधा स्व. सुरूज बाई खांडे को समर्पित इस मंचीय प्रस्तुति के समापन पर दर्शकों ने खड़े होकर तालियों की गूंज के साथ कलाकारों का अभिवादन किया।
इस मौके पर विशेष रूप से उपस्थित वरिष्ठ नाचा कलाकार पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर, पंथी नर्तक पद्मश्री डॉ. राधेश्याम बारले, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. परदेशीराम वर्मा और भजन-गजल गायक प्रभंजय चतुर्वेदी ने लोकगायिका स्व. सुरूजबाई खांडे के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर ने रंग सरोवर की पूरी टीम को बधाई देते हुए कहा कि इतनी सधी हुई प्रस्तुति बहुत कम अवसर पर होती है। वह स्वयं मंच के कलाकार हैं और “भरथरी” जैसी उत्कृष्ट प्रस्तुति उन्होंने अपने जीवन में बहुत कम देखी है। प्रख्यात साहित्यकार डॉ. परदेशीराम वर्मा ने कहा कि यह इस मंचीय प्रस्तुति का सम्मोहन है कि वह लगातार दूसरे दिन इसे देखने आए हैं। उन्होंने कहा कि राजा भृतहरि (भरथरी) की कथा अलग-अलग रूप में देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित है लेकिन छत्तीसगढ़ में राजा भरथरी के संन्यासी स्वरूप को ही मान मिला। भरथरी की सिद्ध कलाकार स्व. सुरूज बाई खांडे राजा के इसी संन्यासी स्वरूप को देश और दुनिया में घंटो गाकर सुनाती रहीं। क्योंकि छत्तीसगढ़ में राजा नहीं संन्यासी का मान होता है।
राजीव लोचन के रूप में छत्तीसगढ़ राजा राम नहीं बल्कि संन्यासी राम की पूजा करता है। भजन-गजल गायक प्रभंजय चतुर्वेदी ने भी बेहतरीन प्रस्तुति के लिए रंग सरोवर की पूरी टीम को बधाई दी। आलेख, गीत, संगीत एवं निर्देशन की जवाबदारी संभालने वाले वरिष्ठ रंगकर्मी भूपेन्द्र साहू ने सभी उपस्थित लोगों का आभार जताया। इस अवसर पर मुख्य रूप से दुर्ग के पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल, डीपी देशमुख,मणिमय मुखर्जी-सुचेता मुखर्जी, जेपी नायर, विभाष उपाध्याय-अनिता उपाध्याय, गुलाम हैदर मंसूरी, तुलसी साहू,श्रवण, योगेंद्र सिंह, लोक गायक तुषान्त बारले , कला समीक्षक भोजराज बारले,महेश वर्मा और राजेंद्र साहू सहित कला-संस्कृति के क्षेत्र के कई प्रमुख लोग उपस्थित थे।