वोट चोरी कांड का खुलासा: हर डिलीट वोट के 80 रुपए, कांग्रेस गढ़ में फर्जीवाड़े की साजिश, 6 गिरफ्तार, भाजपा नेताओं के ठिकानों पर छापा

बेंगलुरु। कर्नाटक के कालाबुरगी जिले में हुए ‘वोट चोरी’ कांड की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने पाया है कि 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाता सूची से वोट जानबूझकर डिलीट करने की साजिश रची गई थी। जांच में सामने आया है कि प्रत्येक डिलीट किए गए वोट के बदले संदिग्धों को 80 रुपए का भुगतान किया गया था। अब SIT ने इस घोटाले में छह लोगों को मुख्य आरोपी के रूप में चिन्हित किया है और उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) के सूत्रों के मुताबिक, आलंद विधानसभा क्षेत्र से करीब 6,994 वोट डिलीट करने के लिए आवेदन दिए गए थे, जिनमें से ज्यादातर फर्जी थे। यह वही इलाका है जहां से कांग्रेस विधायक बी.आर. पाटिल चुने गए हैं और जो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का गृह जिला है। कांग्रेस नेताओं बी.आर. पाटिल और मंत्री प्रियांक खरगे ने इस साजिश का खुलासा करते हुए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को रिपोर्ट सौंपी थी। पाटिल का आरोप है कि जिन वोटों को डिलीट किया गया, उनमें ज्यादातर दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के कांग्रेस समर्थक थे। इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि “मतदाता सूची से वोट हटाना लोकतंत्र के साथ धोखा है।”
राहुल के बयान के बाद राज्य सरकार ने SIT जांच के आदेश दिए थे, जिसकी जिम्मेदारी CID के एडीजी बी.के. सिंह को सौंपी गई। अब तक एजेंसी ने करीब 30 लोगों से पूछताछ की है, जिनमें से 6 को मुख्य आरोपी माना जा रहा है। जांच टीम ने संदिग्धों से जुड़े डेटा सेंटरों पर छापे मारे हैं। शुरुआती जांच में पता चला है कि वोट डिलीट करने के लिए ‘वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (VoIP)’ तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। SIT ने भाजपा नेता सुबाष गुट्टेदार, उनके बेटों हर्षानंद और संतोष गुट्टेदार, तथा उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट के ठिकानों पर भी छापे मारे। जांच के दौरान पुलिस को गुट्टेदार के घर के पास जली हुई मतदाता रिकॉर्ड की फाइलें मिलीं। हालांकि गुट्टेदार ने सफाई दी कि “दिवाली की सफाई के दौरान कर्मचारियों ने गलती से कचरा जला दिया, इसमें कोई गलत नीयत नहीं थी।” SIT अब इस बात की जांच कर रही है कि फर्जी वोट डिलीट करने की यह साजिश किस स्तर तक फैली थी और इसके पीछे किसका सीधा हाथ था।