चौकी में पिटाई और बेइज्जती से आहत युवक ने की आत्महत्या, पैंट पर लिखा सुसाइड नोट, दो सिपाही लाइन हाजिर

चौकी में पिटाई और बेइज्जती से आहत युवक ने की आत्महत्या, पैंट पर लिखा सुसाइड नोट, दो सिपाही लाइन हाजिर

कानपुर। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। मऊदरवाजा थाना क्षेत्र के छेदा नगला गांव में दिलीप नामक युवक ने पुलिस चौकी में पिटाई और पत्नी-ससुरालियों के सामने हुई बेइज्जती से आहत होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना न केवल पुलिसिया रवैये पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि थानों और चौकियों में आम नागरिकों के साथ कैसे व्यवहार हो रहा है।

दिलीप (25) ने खुदकुशी से पहले सुसाइड नोट अपनी ही पैंट पर पेन से लिखा, जिसमें उत्पीड़न और मानसिक यातना का दर्द बयां किया गया है। परिजनों के अनुसार, दिलीप की पत्नी नीरज से विवाद के बाद उसे चौकी बुलाया गया था। वहां मौजूद सिपाहियों ने कथित रूप से दिलीप को पीटा और परिजनों के अनुसार, ₹40 हजार लेकर छोड़ा। अपमान और मारपीट से मानसिक रूप से टूट चुके दिलीप ने रात में फांसी लगाकर जान दे दी। मंगलवार सुबह जब परिजन उसके कमरे में पहुंचे तो दिलीप का शव फंदे पर झूलता मिला। उसके बड़े भाई की नजर पैंट पर लिखे सुसाइड नोट पर पड़ी, जिससे पुलिसिया ज्यादती का खुलासा हुआ।

मामला तूल पकड़ते ही एसपी डॉ. संजय कुमार सिंह ने संज्ञान लेते हुए दो सिपाही — यशवंत यादव और महेश उपाध्याय — को लाइन हाजिर कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। साथ ही कथित भाजपा नेता रजनेश राजपूत, मृतक के ससुर बनवारी लाल और साले राजू के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज की गई है। इधर, पुलिस पर लगे आरोपों को कमजोर करने के प्रयास भी सामने आए हैं। जहानगंज थानाध्यक्ष जितेंद्र पटेल ने मृतक पक्ष के विरुद्ध बयान दर्ज कराए और पंचायत में समझौता होने की बात को आगे बढ़ाया। बयान देने वालों के वीडियो भी बनाए गए और एसपी को पत्र भेजा गया कि दिलीप और उसके पिता शराब पीकर नीरज को मारते थे, चौकी में मारपीट नहीं हुई थी। हालांकि, मृतक द्वारा पैंट पर लिखा गया सुसाइड नोट और परिजनों का आरोप इस घटना को साफ तौर पर एक पुलिसिया दबाव और सामाजिक अपमान का मामला बना रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच करवाता है या फिर पुलिसिया सिस्टम एक बार फिर इंसाफ पर भारी पड़ता है।