बिना प्राधिकरण जैव प्रेरक की अवैध बिक्री पर कृषि विभाग की बड़ी कार्रवाई, 2.84 करोड़ का स्टॉक जब्त



दुर्ग। बगैर प्राधिकार पत्र के डायरेक्ट सेलिंग कंपनी ड्रेकी मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा हेल्थ केयर प्रोडक्ट के साथ-साथ किसानों को जैव प्रेरक (बायो-स्टिमुलेंट) (एग्री बूस्टर) का लंबे समय से वृहद मात्रा में छत्तीसगढ़ के कई जिलों में अवैध रूप से व्यापार किया जा रहा है।

संभागीय संयुक्त संचालक कृषि, संभाग दुर्ग के निर्देशन में संभाग स्तरीय कृषि विभाग की संयुक्त जांच टीम द्वारा 15 दिसम्बर 2025 को जिला दुर्ग, विकासखण्ड दुर्ग के ग्राम पंचायत धनोरा के आनंद नगर में निजी प्रत्यक्ष बिक्री कंपनी ड्रेकी मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड में दबिश दी गई, जिसमें कृषि विभाग के कार्यालय संयुक्त संचालक कृषि दुर्ग से संभाग स्तरीय निरीक्षक श्री हेमंत कुमार बघेल, जिला कार्यालय दुर्ग से निरीक्षक श्रीमती सुचित्रा दरबारी, क्षेत्रीय उर्वरक निरीक्षक श्री नवीन खोब्रागढे, स्थानीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्रीमती सोनाली कुजूर एवं श्री अजय यादव द्वारा प्रतिष्ठान में भंडारित कई उत्पादों का सघन रूप से जांच किया गया।

निरीक्षण के दौरान प्रतिष्ठान के प्रभारी श्री धनेश साहू द्वारा कृषकों को कृषि कार्य में उपयोग की जाने वाली जैव प्रेरक हयुमिक एसीड को प्रदेश के कई जिले के एजेन्ट के माध्यम से विक्रय किया जाना बताया गया। उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 की छठी अनुसूची में जैव प्रेरक को शासन द्वारा अधिसूचित किया गया है तथा उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 अंतर्गत उर्वरक, जैव, कार्बनिक, अकार्बनिक मिश्रित उर्वरक, अखाद्य तेल रहित खली, नैनों उर्वरक एवं जैव प्रेरक का भंडारण, विक्रय आदि उत्पादों का प्रदेश में व्यवसाय करने पूर्व संचालनालय कृषि द्वारा विक्रय प्राधिकार पत्र तथा जिले में व्यवसाय करने पूर्व जिले के उप संचालक कृषि कार्यालय से विक्रय प्राधिकार पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होता है। संचालनालय कृषि रायपुर द्वारा अवैध रूप से जैव प्रेरको का व्यवसाय कर रहे विनिर्माता/आयातकर्ता/ विक्रयकर्ता का निरीक्षण तथा अनियमितता पाये जाने पर उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम (1953 का 10) की धारा 3 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कार्यवाही करने निरीक्षकों को निर्देशित किया गया है।
कंपनी के प्रभारी द्वारा संयुक्त जांच टीम को प्रधिकार पत्र प्रस्तुत नही किया गया। जो कि प्रथम दृष्टया अवैध रूप से भंडारण करते हुए विक्रय किया जा रहा है। साथ ही कंपनी के प्रभारी द्वारा जांच टीम को बिल बुक, स्टॉक बुक आदि प्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत नही किये गए है एवं जैव प्रेरक हयुमिक एसीड को 01 जनवरी से 15 दिसम्बर तक 49360 बोतल (प्रति 1 लीटर) भंडार किया गया तथा उक्त अवधि में 38668 नग बोतल विक्रय किया जाना बताया गया। शेष स्टॉक की जानकारी पूछने पर केवल 1326 नग बोतल शेष होने की जानकारी प्रतिष्ठान प्रभारी द्वारा दिया गया एवं शेष स्टॉक की जानकारी पूछने पर प्रभारी द्वारा जांच टीम को गुमराह किया जा रहा था परंतु जांच टीम द्वारा गहन जांच करने पर प्रथम तल के बडे गोदाम में (630 पेटी) लगभग 7560 बोतल और खोजकर निकाला गया।
इस प्रकार कुल 8886 बोतल जिसकी वर्तमान अधिकतम विक्रय कीमत 3200 रूपये के आधार पर 2,84,35,200 रूपये का अवैध जैव प्रेरक हयुमिक एसीड को जब्त करते हुए भंडार स्थल को सील किया गया एवं प्रतिष्ठान प्रभारी को सुपुर्द किया गया। साथ ही विक्रय संबंधी इनवाईस, रजिस्टर, कच्चा बिल बुक को टीम द्वारा जब्त किया गया तथा इनके प्रोडक्ट जैव प्रेरक हयुमिक एसीड का नमूना जांच हेतु संबंधित लैब को प्रेषित किया गया तथा कंपनी के प्रभारी को प्राप्त अनियमितता के संबंध में कारण बताओं नोटिस जारी करते हुए 03 दिवस के भीतर अपना पक्ष कंपनी के प्रबंध संचालक को कार्यालय उप संचालक कृषि एवं संयुक्त संचालक कृषि जिला दुर्ग में प्रस्तुत करने निर्देशित किया गया। इस प्रकार की गतिविधि को रोकने हेतु राज्य के सभी जिलों के कृषकों को भी सचेत होने की आवश्यता है ताकि गुणवत्ताहीन उर्वरकों / जैव प्रेरकों के अवैध व्यापार पर लगाम लगाई जा सके और कृषि लागत को कम किया जा सके।

