भिलाई की बेटी ने रचा इतिहास: पारंपरिक लुगरा साड़ी के लिए मिला गोल्डन बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड सम्मान
16 हजार अंडी लुगरा साड़ियाँ बांटकर बना वर्ल्ड रिकॉर्ड

भिलाई। छत्तीसगढ़ की पारंपरिक संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए भिलाई की समाजसेवी शांता शर्मा ने एक ऐसा कार्य किया है, जिसने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। उन्होंने अब तक 16,000 महिलाओं और बेटियों को अंडी लुगरा साड़ी भेंट कर छत्तीसगढ़ी पहचान को फिर से जीवंत करने का प्रयास किया है। इस ऐतिहासिक अभियान के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में उनका नाम दर्ज किया गया है। एशिया प्रमुख मनीष बिश्नोई ने भिलाई में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्हें प्रमाणपत्र सौंपकर सम्मानित किया और इस सांस्कृतिक पुनर्जागरण प्रयास की सराहना की।
रूपाली महतारी गुड़ी के माध्यम से शुरू की पहल
शांता शर्मा ने यह अभियान अपनी संस्था “रूपाली महतारी गुड़ी” के माध्यम से शुरू किया था। उनका उद्देश्य है कि अंडी लुगरा साड़ी, जो छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वेशभूषा रही है, वह आज की पीढ़ी में फिर से लोकप्रिय हो। वे नवरात्रि, पारंपरिक त्योहारों, कन्या पूजन, महिला सम्मान जैसे आयोजनों में न सिर्फ साड़ियाँ भेंट करती हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ी गहनों के साथ पूरा पारंपरिक लुक भी प्रस्तुत करती हैं।
पहली और सोलह हजारवीं साड़ी के पीछे की कहानी
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इस अभियान की शुरुआत संगीता शर्मा को पहली साड़ी भेंट कर हुई थी।
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हाल ही में उन्होंने 16,000वीं साड़ी लता ऋषि चन्द्राकर को भेंट की, जिसके साथ यह रिकॉर्ड बन गया।
संस्कृति संरक्षण की मिसाल
शांता शर्मा का यह कार्य सिर्फ परिधान भेंट करने का प्रयास नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने की एक कोशिश है।
उनका यह अभियान छत्तीसगढ़ी पहचान, सम्मान और गौरव का प्रतीक बनता जा रहा है।