गुजरात पुलिस ने पकड़ा द घोस्ट: साइबर गुलामी का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय रैकेट बेनकाब

गुजरात। गुजरात पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय साइबर गुलामी नेटवर्क का बड़ा पर्दाफाश किया है। इस ऑपरेशन में पुलिस ने उस शख्स को गिरफ्तार किया है जिसे पूरे रैकेट में ‘द घोस्ट’ कहा जाता था। उसका असली नाम नीलेश पुरोहित है, जिसे नील के नाम से भी जाना जाता है। वह लगातार पर्दे के पीछे रहकर पूरे नेटवर्क को चलाता रहा और लंबे समय तक पकड़ से दूर रहा।

गुजरात के उपमुख्यमंत्री और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने बताया कि सीआईडी क्राइम की साइबर सेंटर फॉर एक्सीलेंस टीम ने नील को गांधीनगर से पकड़ा, ठीक उसी समय जब वह मलयेशिया भागने की कोशिश में था। इससे पहले उसके दो करीबी साथी हितेश सोमैया और सोनल फलदू गिरफ्तार किए जा चुके थे। इसी रैकेट से जुड़े भवदीप जडेजा और हरदीप जडेजा भी पहले ही पुलिस की गिरफ्त में हैं। पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह चीन आधारित नेटवर्क के लिए म्यांमार और कंबोडिया में चल रहे साइबर स्कैम कैंपों में लोगों की सप्लाई करता था। यह नेटवर्क युवाओं को मोटी सैलरी वाली विदेशी नौकरी का लालच देता था। सोशल मीडिया, टेलीग्राम और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए संपर्क किया जाता। फिर पासपोर्ट छीन लिए जाते, लोगों को बंधक बनाकर म्यांमार ले जाया जाता और उनसे जबरन ऑनलाइन ठगी कराई जाती।

इन स्कैम कैंपों में काम कराने के लिए फिशिंग, क्रिप्टो फ्रॉड, पोंजी स्कीम और डेटिंग ऐप ठगी जैसे अपराध शामिल थे। जो इनकार करते, उन्हें शारीरिक और मानसिक यातना दी जाती थी। जांच में सामने आया कि नील 126 से ज्यादा सब एजेंट्स को संभालता था। पाकिस्तान के 30 से अधिक एजेंट्स से उसका सीधा संपर्क था। उसका नेटवर्क 100 से अधिक चीनी और विदेशी कंपनियों तक फैला हुआ था। वह 1000 से ज्यादा लोगों को कंबोडिया और म्यांमार भेजने की नई डील तैयार कर चुका था। गिरफ्तारी से सिर्फ एक दिन पहले उसने पंजाब के एक व्यक्ति को कंबोडिया भेजा था। नील की विदेश यात्राओं की लिस्ट भी लंबी है। वह दुबई, लाओस, थाईलैंड, म्यांमार और ईरान की यात्राएं कर चुका है। पुलिस का कहना है कि यह भारत में साइबर गुलामी से जुड़े अब तक के सबसे बड़े रैकेट में से एक है, और ‘द घोस्ट’ की गिरफ्तारी इसके पूरे नेटवर्क को कमजोर कर सकती है।
