क्रांतिकारी सुखदेव राज की 52वीं पुण्यतिथि पर उनके महान योगदान को स्मरण कर दी गई श्रद्धांजिल

दुर्ग। भारतीय राज्य पेंशनर महासंघ एवं ग्राम पंचायत अंडा के संयुक्त तत्वावधान में महान क्रांतिकारी सुखदेव राज की 52वीं पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। दुर्ग सांसद विजय बघेल, दुर्ग ग्रामीण विधायक व राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष ललित चंद्राकर समाधि स्थल (आश्रम) पहुँचकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया एवं उनके महान योगदान को स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि दी। साथ ही पेंशनर समाज व गांव के वरिष्ठ नागरिक जनों ने श्रद्धांजलि अर्पित कर उनको याद किया।
इस अवसर पर दुर्ग सांसद विजय बघेल ने सुखदेव राज जी को पुष्पांजलि अर्पित किया और उनके द्वारा किए गए देश के लिए कार्यों को याद करते हुए कहा आज हम ऐसी शख्सियत के पुण्यतिथि मना रहे हैं जो देश के आजादी में अपना सर्वस्व नौवछावर किया। आगे श्री बघेल ने उनके स्मरण को याद दिलाते हुए कहा सुखदेव राज चंद्रेखर के परम मित्र थे और पार्क में बैठे थे अंग्रेजो द्वारा पार्क घेराबंदी कर रहे थे। चंद्रशेखर आजाद ने सुखदेव राज को पार्क से निकल जाने के लिए कहा। सुखदेव राज किसी तरह वहां से बच निकले पर अंग्रेज पुलिस के साथ मुठभेड़ में आजाद शहीद हो गए। बताते हैं कि 1931 से 1963 तक सूखदेव राज पूरे देश में घूमते रहे। बाद में वे विनोबा भावे के संपर्क में आए तथा कुष्ठ रोगियों की सेवा करने लगे। विनोबा के कहने पर वे दुर्ग आए और जीवन के अंतिम समय में अंडा आकर कुष्ठ रोगियों की सेवा की उनका संपूर्ण जीवन मानव के लिए समर्पित रहा ऐसे महापुरुषों की समाधि स्थल आकर मैं अपने आप को धन्यमहसूस करता हूं। और आप सभी को आस्वस्थ करता हूं आने वाले समय में आप सब के सम्मिलित प्रयास से समाधि स्थल नए रूप में दिखेंगे।
इस अवसर पर दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर ने कहा आज हम सब महान क्रांतिवीर चंद्रशेखर आजाद के परम मित्र सुखदेव राज को याद कर रहे हैं जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानव सेवा के लिए लगाए देश के आजादी में चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह राजगुरु सुखदेव,भगवती चरण वोहरा, यतीन्द्र दास के साथ सुखदेव राज जी भी ने देश को आजादी दिलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया विनोबा भावे जी के संपर्क में आने के बाद अपने जीवन के अंतिम क्षणों मे मेरे विधानसभा क्षेत्र के अंडा ग्राम में रहकर कुष्ठ रोगियों की सेवा में लगा दिए। और 5 जुलाई 1973 को दुर्ग में अंतिम सांस ली। उन्होंने अपने क्रांति जीवन पर एक पुस्तक भी ज्योति जगी लिखी थी। यह पुस्तक नागपुर से प्रकाशित हुई थी। जिसमें सुखदेव राज के समग्र जीवन का उल्लेख है। इस अवसर पर कवि गुलवीर सिंह भाटिया ने सुखेदव राज के साथ बिताए दिनों को साझा किया दुर्ग में उन्हीं के पास बैठा करता था। पेंशन समाज अध्यक्ष बी के वर्मा ने सुखेदव राज जी के जीवनी पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि गुलवीर सिंह भाटिया, पेंशन समाज अध्यक्ष बी. के. वर्मा, वीरेन्द्र नामदेव, प्राचार्य जामुलकर, महेश शर्मा, ग्राम अंडा के सरपंच दिग्विजय सिन्हा, जनपद सदस्य अजीत चंद्राकर, उपसरपंच यशवंत बंजारे, दिनेश्वर चंद्राकर, जयराम चंद्राकर, सांसद प्रतिनिधि मनोज चंद्राकर, शाला विकास समिति अध्यक्ष राकेश चंद्राकर, लोकेश देवांगन, जीतू सिन्हा, प्रदेश महामंत्री पेंशनर महासंघ अनिल गुलहाने, प्रदेश सचिव टी. पी. सिंह, बी. एल. राजपाल, राजेश तिवारी, श्री एच. एस. वर्मा तथा शाला परिवार के सदस्य एवं अनेक वरिष्ठजन ससम्मान उपस्थित थे।